किसान हितैषी होने का दावा करने वाली भाजपा आज किसानों की बनी सबसे बड़ी दुश्मन

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष, उत्तराखंड की प्रभारी, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य कुमारी सैलजा ने कहा कि स्वयं को किसान हितेषी होने का दावा करने वाली प्रदेश की भाजपा सरकार आज किसानों की सबसे बड़ी दुश्मन बनी हुई है। किसानों की अनदेखी के चलते वह बरबादी के कगार पर है। प्रदेश की मंडियों में अनाज बिखरा पड़ा है, और बारिश की चेतावनी के बावजूद, भाजपा सरकार अनाज को सुरक्षित रखने का कोई इंतजाम नहीं कर रही है। यह स्थिति किसानों के लिए न सिर्फ निराशाजनक है, बल्कि उनकी आजीविका पर भी प्रश्नचिन्ह खड़े करती है। प्रदेश सरकार की लापरवाही के कारण, किसानों को अपने अनाज को बर्बाद होते देखना पड़ रहा है। इससे साफ है कि भाजपा केवल और केवल जुमलेबाजों की सरकार है।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा है कि एक ओर जहां प्रदेश की मंडियों में गेहूं और सरसों की आवक जोरो पर है वहां उनका उठान धीमा होने के चलते मंडियों में फसलों के ढ़ेर लगे हुए। मौसम विभाग की चेतावनी के बावजूद सरकार की नींद नहीं खुली और प्रदेश में वोट वोट चिल्लाते हुए घूम रही है। शनिवार को प्रदेश के कुछ जिलों में बरसात होने से मंडियों में खुले आसमान के नीचे पड़ा गेंहू और सरसों भीग गई। इसके बावजूद मंडियों में फसलों के उठान में कोई तेजी नहीं देखी गई। मौसम विभाग से अप्रैल माह में बरसात का अलर्ट जारी किया हुआ है जिसे लेकर किसानों की नींद उड़ी हुई हैं। किसान बार बार उठान में तेजी की मांग कर रहा है पर अधिकारी और सरकार कानों में रूई डालकर बैठे हुए है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की मंडियों में इस समय बारदाने की बड़ी किल्ल्त है जिसके चलते उठान नहीं हो रहा है जबकि सरकार ने दावा किया था बारदाने की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी।

कुमारी सैलजा ने कहा है कि चरखी दादरी जिले की मंडियों में करीब 1.90 लाख क्विंटल सरसों अभी तक खरीद केंद्रों में पड़ी है जिसका उठान नहीं हुआ है। भिवानी की मंडियों में साढ़े सात लाख टन सरसों का उठान नहीं हुआ है। सिरसा की मंडियों में अभी तक 67 प्रतिशत सरसों का उठान नहीं हुआ है। हिसार जिला की कुछ मंडियों में शैड की व्यवस्था न होने पर करीब 66 हजार क्विंटल सरसों खुले में रखी हुई है। सोनीपत और रोहतक में भी ऐसे ही हालात हैं। झज्जर और रेवाडी में भी फसलें खुले में पड़ी है वहां पर भी उठान धीमा है तो कई मंडियों में हुआ ही नहीं हैं। करनाल और कैथल में उठान को लेकर सबसे बुरे हालात है, अंबाला में तो उठान ही शुरू नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा कि किसान खून पसीना बहाकर देश के लिए अन्न पैदा करता है, वो अन्न जिसका उचित भाव तक उसे नहीं मिलता। सरकार की लापरवाही के कारण किसान की फसल खुले में पड़ी है, जिसे बरसात से बचाने का कोई प्रबंध नहीं है और न ही उसका उठान तेजी से हो रहा है। सरकार ने आधी अधूरी तैयारी के साथ खरीद शुरू की जबकि सरकार को पता था कि खरीद शुरू होनी है तो उसके व्यापक प्रबंध होने चाहिए थे, सरकार ने मंडियों में जो भी प्रबंध होने का दावा किया वे केवल कागजों तक ही सीमित थे। अगर सरकार को किसानों की जरा भी चिंता है तो उसे मंडियों में से फसलों का उठान युद्ध स्तर पर करना चाहिए ताकि फसलों को बरसात से बचाया जा सके।

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